कोरोना काल में बचाव का बड़ा माध्यम बनकर उभरा 'सीएसआर'

23-06-2021 13:52:12
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कोरोना काल में बचाव का बड़ा माध्यम बनकर उभरा 'सीएसआर'

संकटकाल में सार्वजनिक और कॉरपोरेट क्षेत्र ने खोले खजाने

कोविड़-19 महामारी में बढ़-चढ़कर निभा रहे हैं सामाजिक दायित्व

देश के सार्वजनिक और कॉरपोरेट क्षेत्र ने संकटकाल में पीड़ितों की सहायता के लिए अपने खजाने खोल दिए। पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग कंपनियां (पीएसयू) और कॉरपोरेट समूह कोरोना विषाणु संक्रमण महामारी में बढ़-चढ़कर सामाजिक दायित्व निभा रहे हैं। अस्पतालों के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करना हो या एडिशनल बेड का इंतजाम, ऑक्सीजन सप्लाई को लेकर लॉजिस्टिक सपोर्ट या फिर वैक्सीनेशन ड्राइव में मदद। कोरोना काल में कॉरपोरेट सेक्टर सीएसआर कार्यक्रम के तहत सरकार का हाथ मजबूत करने में लगातार जुटा हुआ है।

सरकार ने सभी कंपनियों से कोविड से निपटने के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने और अन्य मदद देने की अपील की थी। कोरोना की दूसरी लहर से निपटने में जब सरकारी व्यवस्था कम पड़ने लगी तो निजी कंपनियां कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी यानी सीएसआर के तहत राहत पहुंचाने में जुटी हुई हैं। सरकार की अपील और सीएचआरके नियमों में ढील के बाद बड़े कॉरपोरेट्स के साथ छोटी कंपनियां भी आगे आ रही हैं। इनमें प्रमुख रूप से सार्वजनिक क्षेत्र की राइट्स, पीएफसी, सेल, राष्ट्रीय इस्पात निगम, रेलवे, भेल, एनटीपीसी, गेल, इपीएफ इंडिया, कोचीन शिपयार्ड, एचसीएल, एचएएलयूजेवीएन और यूपीसीएल आदि कंपनियों, बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ बड़ौदा के साथ ही निजी क्षेत्र की रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड, महिन्द्रा एंड महिन्द्रा, टाटा स्टील, बोरोसिल, लार्सन एंड टुब्रो, इन्फोसिस, विप्रो, एमवे, ओरिफ्लेम, ओप्पो, सेमसंग, डाबर, वेदान्ता, अमेजॉन, गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, प्रॉक्टर एंड गैम्बल, टेक महिंद्रा, एसेनचर, सैमसंग, रेथियॉन टेक्‍नोलॉजीज, हुंडई मोटर इंडिया, लैंक्सेस इंडिया, सन ग्रुप, एम3एम और रॉडिक कंसल्टेशन समेत विभिन्न कंपनियां शामिल हैं। सार्वजनिक और निजी क्षेत्र की यह कंपनियां कोरोना संकटकाल में पूरी निष्ठा के साथ अपना सामाजिक दायित्व निभा रही हैं। रिलायंस इंडस्ट्रीज सीएसआर के तहत महाराष्ट्र में हॉस्पिटल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार कर रही है। प्रॉक्टर एंड गैम्बल वैक्सीनेशन ड्राइव के लिए तो वहीं विप्रो से संबद्ध अजीम प्रेमजी फाउंडेशन मेडिकल सर्विसेज के लिए और हिन्दुस्तान लीवर लिमिटेड सैनिटेशन ड्राइव पर बड़ी रकम खर्च कर रही है। इन्फोसिस ने कोविड रिलीफ और फूड पर तो मेनकाइंड फार्मा ने कोविड की वजह से जान गंवाने वाले फ्रंटलाइन वर्कर्स के परिवार वालों की मदद के लिए सीएसआर फंड का इस्तेमाल किया है। टेक महिंद्रा फाउंडेशन ने 3000 ऑक्सीजन कंसंट्रेटर और 40 हजार सिलिंडर देने का ऐलान किया है। वेदान्ता समूह निवारक स्वास्थ्य देखभाल (प्रवेंटिव हैल्थ केयर) पर खर्च कर रही है। अमेजॉन, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट भी गैरसरकारी संगठनों (एनजीओ) के जरिए कोरोना काल में मदद कर रही हैं। हरियाणा में ऑक्सीजन सपोर्ट वाले 500 बेड्स की अतिरिक्त व्यवस्था करने के लिए एम3एम फाउंडेशन इंडियन एयरफोर्स से साथ मिल कर काम कर रही है। कई कंपनियां सीधे राज्य सरकारों के साथ जुड़कर भी काम कर रही हैं। आईटी कंपनी रॉडिक कंसल्टेशन उत्तर प्रदेश में सुचारू ऑक्सीजन सप्लाई के लिए तकनीकी मदद कर रही है। उत्तर प्रदेश में तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर 50 अति प्रभावित जनपदों समेत हर जिले में कम से कम दो सीएचसी में कुल 125 ऑक्सीजन प्लांट निगमित सामाजिक दायित्व यानी कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी (सीएसआर) फंड से लगाए जाने की कवायद शुरू कर दी गई है।

सीएसआर के बूते सशक्त हो सकती है देश की स्वास्थ्य अवसंरचना

ड्रैगनजनित कोरोना विषाणु संक्रमण महामारी के कारण जीवन और जीविका पर आए विकट संकट के इस दौर में कॉरपोरेट सेक्टर सीएसआर कार्यों के तहत सरकार का हाथ मजबूत करने में लगातार जुटा हुआ है। कॉरपोरेट सेक्टर को अपने लाभ का 2 फीसदी हिस्सा अनिवार्य रूप से सीएसआर के तहत खर्च करना होता है। कोरोना काल में राहत देने के लिए कॉरपोरेट सेक्टर की सक्रियता को देखते हुए सीएसआर विशेषज्ञ मान रहे हैं कि इस मद में पिछले साल के मुकाबले अबकी कंपनियों का सीएसआर खर्च कोविड के के 20-30 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। सीएसआर विशेषज्ञों के अनुमान के अनुसार सभी संबंधित कंपनियों का मिलाकर सीएसआर का बजट फिलहाल सालाना करीब 50 हजार करोड़ रुपए बैठता है। देश में सीएसआर के तहत खर्च पर नजर रखने वाली एजेंसियों का अनुमान है कि सीएसआर के तहत खर्च करने वाली बड़ी कंपनियों पर नजर डालें तो इस साल कंपनियों का खर्च 20 से 30 फीसदी तक बढ़ सकता है। जिसके बाद सीएसआर मद की राशि का आंकड़ा 60-65 हजार करोड़ तक पहंच सकता है। यदि यह धनराशि उचित प्रकार से स्वास्थ्य के क्षेत्र में खर्च की जाए तो इससे न केवल अभी जनसामान्य को राहत ही मिलेगी, बल्कि देश की स्वास्थ्य अवसंरचना (हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर) को भी सशक्त बनाने में भी सहायता मिलेगी।


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