इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा हो सकेगी संभव

11-09-2019 12:18:48
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आज के समय मनुष्य का पृथ्वी पर पूरा राज है, और मानव ने पृथ्वी पर अपना जीवन आसान बनाने के लिए उसके तत्वों का उपयोग अपने विकास और समाधान के लिए करना अच्छी तरह से सीख लिया है.
एक समय था जब इंसान आदि मानव की तरह अपना जीवन बिताता था जिसमे वह जंगलों में रहा करता था लेकिन आज विज्ञान की मदद से मनुष्य ने बड़ी-बड़ी गगन चुम्बी इमारतें खड़ी कर ली है. तकनीक में लगातार तरक्की ने मनुष्य की हर मुश्किल को आसान किया है इसी दिशा में एक और कदम बढ़ाते हुए अब मानव पृथ्वी ग्रह के अलावा दुसरे ग्रहों पर भी जीवन की संभावनाएं तलाश रहा है. और इसी तालाश में जल्द ही नासा की मदद से स्पेस टूरिज्म का सपना अब पूरा भी हो सकता है.

नासा के स्पेस टूर की शुरुआत

अमेरिका की स्पेस एजेंसी नासा ने यह घोषणा की है कि अब नासा के द्वारा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर आम नागरिक और बिज़नेसमैन भी आसानी से अन्तरिक्ष यात्रा करने के लिए जा सकते है. इस यात्रा के लिए किसी भी व्याक्ति को एक बहुत ही मोटी रकम ज़रूर चुकानी होगी.
अन्तराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन पर यात्रा करने के लिए कई सालों से नासा में इस योजना पर काम चल रहा था कि स्पेस टूरिज्म के लिए आईआईएस का कामर्शियल इस्तेमाल किया जा सकता है और किसी प्राइवेट कंपनी को स्पेस टूरिज्म के लिए मंजूरी दी जाए लेकिन अमेरिका इस योजना के लिए जल्दी तैयार नही हुआ था क्योंकि कारगर तकनीक में लगातार सुधार की ज़रूरत होने के कारण भी यह सोचना मुश्किल था कि इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन की यात्रा करना संभव भी है.
लेकिन हाल ही में इस स्पेस स्टेशन को प्राइवेट कमर्शियल इस्तेमाल के लिए नासा ने अब मंजूरी दे दी है. और अमेरिका ने यह मंजूरी दो निजी कंपनियों को दी है जिन्होंने अपने अपने स्पेस प्रजेक्ट दुनिया के सामने उजागर किये है. पहली कंपनी का नाम एलन मस्क की स्पेस X कम्पनी है और दूसरी कम्पनी का नाम बोईंग है.

Nasa (Pic: azeritimes.com)

स्पेस टूरिज्म की दौड़ में आगे दो निजी कंपनी

बोईंग स्टार लाइनर

बोईंग एक बहुत ही पुरानी विमानन कम्पनी है जिसने सबसे पहले 15 जुलाई 1916 को कंपनी स्थापित की गई. शुरुआत में इस विमानन कम्पनी ने सिंगल कैनवास और वुड के हवाई ज़हाज बनाए.
बोईंग कम्पनी के विमान विश्वयुद्ध के दौरान कई देशों ने इस्तेमाल किये जिनको बनाने के लिए बड़े स्तर पर विमान बनाने का काम हुआ उसके बाद विश्वयुद्ध ख़त्म होने के बाद कम्पनी ने अपना उद्योग यात्री विमान सेवा में शिफ्ट कर लिया. इस कम्पनी का विमान बी-747 खूब बिका जिसको कई देशों की हवाई सेवाओं में इस्तेमाल किया अब बोईंग कम्पनी स्पेस टूरिज्म में भी अपना वर्चस्व स्थापित करना चाहती है. जिसके लिए बोईंग क्रू स्पेस ट्रांसपोर्टेशन (सीएसटी-100) स्टारलाइनर स्पेसक्राफ्ट द्वारा निर्मित किया गया है. इस स्पेसक्राफ्ट को नासा के कामर्शियल क्रू प्रोग्राम की मदद से लो अर्थ ऑर्बिट के लिए डेवलप किया गया है. इस स्पेस क्राफ्ट को इस तरह बनाया गया है कि इसमें 7 पेसेंजर आराम से बैठ सकते है.
इस स्पेस क्राफ्ट की खासियत यह है कि यह रीयूजेबल है और इसको छ: महीने के अन्दर 10 बार उपयोग किया जा सकता है.
अब यह कम्पनी नासा की मदद में अपनी टेस्टिंग प्रक्रिया में चल रही है और जल्द ही यह कम्पनी अपना मिशन पूरा कर लेगी.

Starliner (Pic: Nasa.Gov)

स्पेस X ड्रैगन कैप्सूल

अन्तरिक्ष की स्पेस टूरिजम की दौड़ में दूसरी कम्पनी है स्पेस X. इसका पूरा नाम स्पेस एक्सप्लोरेशन टेक्नोलॉजीस कारपोरेशन है. स्पेस X के संस्थापक जाने माने बिज़नेस मैन और टेस्ला कम्पनी के मालिक एलोन मस्क हैं. इस कम्पनी की स्थापना 6 may 2002 को हुई थी. यह कम्पनी आज एडवांस रोकेट को निर्मित करने और अन्तरिक्ष में राकेट लांच करती है. एलेन मस्क ने इस कम्पनी की स्थापना इस लक्ष्य के साथ की थी कि ताकि लोग आसानी से दुसरे ग्रहों और अन्तरिक्ष में जा सके. स्पेस एक्स विश्व की पहली ऐसी प्राइवेट कम्पनी थी जो लो ऑर्बिट के लिए उड़ान भर कर वापस धरती पर उतरा था. 2012 में यह स्पेसक्राफ्ट इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन पर कार्गो डिलीवर करने वाला स्पेस क्राफ्ट बना.

स्पेस एक्स ने फेलकॉन 9 और फेलकॉन हैवी नाम के राकेट भी निर्मित किये है जिसके द्वारा अन्तरिक्ष में और दुसरें ग्रहों पर मानवों को भेजा जा सकेगा. यह राकेट अपने साथ 63000 कि.ग्रा का वजन ले जाने में सक्षम है. इसके अलावा स्पेस एक्स का ड्रैगन केप्सूल स्पेसक्राफ्ट अन्तरिक्ष के ऑर्बिट में 7 लोगों को ले जाने में सक्षम है. इसका आकार शंकुनुमा है. इस स्पेसक्राफ्ट को फेलकॉन राकेट की मदद से भेजा जाएगा. इसके साथ ही इस स्पेस क्राफ्ट के लिए एक ख़ास किस्म का अन्तरिक्ष सूंट भी डिजाईन किया गया है जो कि फ्लेम रेसिस्टेंस और कुलिंग जैसी सुविधाओं से लैस है.

अब स्पेस एक्स भी बोईंग की तरह जल्दी ही स्पेस टूरिज्म में नासा के साथ बड़ी तेजी के साथ कार्य कर रहा है. और आने वाले 5 सालों के अन्दर यह बात आम हो सकती है कि लोग इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन और अन्तरिक्ष की यात्रा करने के लिए जा सके.

Space X Dragon Capsule( Pic: orbital-velocity.com)

क्या है अन्तराष्ट्रीय स्पेस स्टेशन(आईएसएस)

1998 में अन्तरिक्ष में छोड़ा गया इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन धारती के बाहर मौजूद मानव द्वारा निर्मित सबसे बड़ी चीज है. इस अन्तरिक्ष स्टेशन का लगभग 4.15 लाख कि.ग्रा है. अन्तरिक्ष स्टेशन का निर्माण करने के लिए समय समय पर इसके अलग अलग हिस्से अन्तरिक्ष में ले जा कर जोड़े गये है. इस अन्तरिक्ष यान में हर समय एक वैज्ञानिक दल मौजूद रहता है. इस स्पेस स्टेशन पर लैंडिंग करने के लिए एक स्पेस क्राफ्ट का इस्तेमाल किया जाता है. अन्तरिक्ष में इतने बड़े स्पेस स्टेशन को बनाने के लिए कई देशों ने अपना योगदान दिया है. लेकिन इन देशों की सूचि में भारत का नाम शामिल नही है.
इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन हमेशा पृथ्वी से लगभग 350 कि.मी की उंचाई से ऊपर मौजूद रहता है.  
आने वाले समय में नासा द्वारा स्पेस टूरिज्म के द्वारा इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन को निजी कंपनियों के लिए खोल देने से अब जल्द ही लोग पैसा खर्च करके अन्तरिक्ष यात्रा कर सकेंगे.

International Space Station(Pic: vice.com)

Web Content: NASA Space Tourism SpaceX, Boing Star Liner Mission 2019

Feature Image: SpaceX, Boing Star Liner (Pic:gannett-cdn.com)


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