शिक्षक-अभिभावकों के रिश्ते में रस्साकसी ‌की गुंजाइश नहीं : स्मिता सिंह

08-02-2020 14:48:09
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'धरा बचाओ' संकल्प के साथ शुरू हुआ तीन दिवसीय 'पॉम-पॉम शो', सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल के बच्चों ने मनवाया प्रतिभा का लोहा |




ऑब्जर्वर डॉन ब्यूरो गाजियाबाद। सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित तीन दिवसीय 'पॉम-पॉम शो' को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि स्मिता सिंह ने कहा कि अभिभावक, शिक्षक और बच्चे एक ही सूत्र में बंधे हैं। उत्तर प्रदेश राजकीय औद्योगिक विकास निगम की क्षेत्रीय प्रबंधक श्रीमती सिंह ने कहा कि उनकी बेटियों की प्रारंभिक शिक्षा भी इसी स्कूल में हुई है, लेकिन ‌उच्चतर कक्षाओं में पहुंचने के बावजूद उनका पुराने स्कूल से जुड़ाव यह साबित करता है कि गुरु शिष्य का रिश्ता गर्भनाल जैसा ही होता है। इस रिश्ते की दूसरी कड़ी हैं अभिभावक, जिन्हें यह सोचना चाहिए कि जिस बच्चे रूपी पौधे को उन्होंने शिक्षा के आंगन में रोपा है उसकी जड़ें मजबूत कैसे हों। अक्सर देखने में आता है कि छोटे-छोटे मुद्दों पर अभिभावक शिक्षकों से रस्साकसी करने पर आमादा हो जाते हैं। उन्होंने नन्हे-मुन्ने बच्चों की अभिव्यक्ति की दिल खोल कर सराहना करते हुए कहा कि बच्चों ने वास्तव में गदर काट डाला। यही आत्मविश्वास एक दिन इन्हें बुलंदी पर ले जाएगा।



स्कूल की बुलंदशहर रोड औद्योगिक क्षेत्र की शाखा में आयोजित शो को संबोधित करते हुए श्रीमती सिंह ने कहा कि पर्यावरण व स्वच्छता से ‌जुड़ी प्रस्तुति के माध्यम से बच्चों ने सशक्त तरीके से साबित कर दिया कि अपने आसपास के वातावरण के प्रति बच्चे बहुत जागरूक व सचेत हैं। हमारी पीढ़ी ने विकास के नाम पर जो गलतियां की हैं ‌उनका खामियाजा आज हम कई विभिषिकाओं के तौर पर भोग रहे हैं। इन बच्चों को स्वतंत्र छोड़ दीजिए। यही बच्चे इस धरा और दुनिया को बचाएंगे। अपने संबोधन में चेयरमैन रो. डॉ. सुभाष जैन ने ‌कहा कि उनके नाती-पोते भी इसी स्कूल में पढ़ते हैं। लिहाजा हमारी कोशिश रहती है कि हम शिक्षा का ऐसा वातावरण बनाए रखें जो संस्कारवान बच्चों की उत्तम पौध तैयार कर सके।

डॉयरेक्टर प्रिंसिपल डॉ. माला कपूर ने कहा कि स्कूल तैंतीस साल की यात्रा कर 34वें साल में प्रवेश कर गया है। इस अवधि में स्कूल की शाखाएं एक से बढ़कर तीन हो गई हैं। जो अभिभावकों के विश्वास का ही प्रतिफल हैं। उन्होंने कहा कि आज के बच्चे बहुत जल्दी परिपक्व हो रहे हैं। हमारे आचरण और भाषा को अंगीकार करने को यह आतुर रहते हैं।  लिहाजा अभिभावकों को इनके सामने नकारात्मक सोच और भाव प्रकट करने से बचना चाहिए। कुछ अभिभावकों ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि वह बच्चों के प्रति शिक्षकों के समर्पण को समझ सकते हैं। घर में एक दो बच्चों को संभालना आसान नहीं है और यहां शिक्षक को मेढ़क सरीखी बच्चों की पूरी फौज संभालनी पड़ती है। इस अवसर पर शिक्षाविद संतोष ओबरॉय, वाइस प्रिंसिपल डॉ. मंगला वैद, बबीता जैन, नमन जैन, निधि जैन, कविता सरना, रेनू चोपड़ा, उमा नवानी, आलोक यात्री, दीपाली जैन "जिया" व प्रतीक्षा सक्सेना सहित बड़ी संख्या में अभिभावक मौजूद रहे।


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