डिजिटल भारत बनने के अब हैं अवसर अपार

22-06-2020 16:29:20
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डिजिटल भारत बनने की संभावनाओं, राह में आने वाली चुनौतियों यानी संकट और समाधान पर ऑब्जर्वर डॉन ने व्यापक प्रकाश डालने का प्रयास किया है, दूसरे शब्दों में कहा जाए तो हमने डिजिटल भारत के संदर्भ में व्यापक लेखा-जोखा पेश किया है। प्रस्तुत है डिजिटल भारत स्टोरी का पहला अंश।

कोरोना महामारी के कारण लागू देशबंदी के बीच जरूरतन कहें या मजबूरन, लेकिन डिजिटल तकनीक को लेकर देशवासियों का रूझान पहले के मुकाबले खासा बढ़ा है। नतीजतन डिजिटल भारत अभियान को त्वरति गति मिली है। दरअसल कोरोना महामारी के संकटकाल में लॉकडाउन के दौरान हर खास-ओ-आम की दिनचर्या थम गई। कोरोना संक्रमण से बचने को इस संकटकाल में लागू लॉकडाउन के दौरान आवाजाही प्रतिबंधित होने से सड़कों पर सन्नाटा पसर गया। स्कूल-कॉलेज, कल-कारखाने, आवश्यक सेवाओं से इतर सभी वाणिज्यिक प्रतिष्ठान, कार्यालय ही नहीं धर्मस्थल भी बंद कर दिए गए। सरकारी और बड़े अस्पतालों को छोड़ दें तो लघु चिकित्सालय और क्लीनिक तक तालाबंद रहे। हां अधिकांश निजी चिकित्सकों ने अपना फर्ज जरूर निभाया, लेकिन मोबाइल पर या डिजिटली।

लॉकडाउन में बखूबी कारगर रहा तकनीक का प्रयोग

तमाम सरकारी गैर सरकारी दफ्तरों में वर्क फ्रॉम होम (डब्ल्यूएफएच) यानी घर से कार्य का विकल्प अपनाया गया। साथ ही कामकाज संबंधी दिशा-निर्देश, मार्गदर्शन, देखरेख और रिपोर्टिंग आदि के लिए ऑनलाइन मीटिंग यानी वेबनॉर का इस्तेमाल किया गया, जो कि बखूबी कारगर भी रहा। विद्यार्थियों की परीक्षा संबंधी तैयारियों को लेकर ऑनलाइन यानी ई-कक्षाओं पर जोर रहा। इस दौरान अनेक ऑनलाइन कंसर्ट, कविसम्मेलन, वेबवर्कशॉप, वर्चुअल रैलियां और ई-कोचिंग-ट्रेनिंग सत्र आदि भी सफलता पूर्वक आयोजित किए गए। इतना ही नहीं मल्टीप्लेक्स और सामान्य सिनेमाघर बंद होने के चलते फिल्में भी डिजटिल प्लेटफार्म यानी ओटीटी नेटवर्क पर रिलीज होने का सिलसिला शुरू हुआ। खेलों की ट्रेनिंग देने को भी ऑनलाइन तकनीक इस्तेमाल शुरू किया गया, कानूनी चर्चा भी डिजिटल तरीके से की गई और कला, साहित्य व नाट्य विधा के गुर सिखाने का काम भी डिजिटल कार्यशाला के माध्यम से किया गया। डिजिटल वार्ताओं के जरिए कृषि के क्षेत्र में विशेषज्ञों ने किसान नेताओं और किसानों संग सम्पर्क और विचार-विमर्श का सिलसिला जारी रखा।

वैकल्पिक प्रयासों को सराहना भी खूब मिली

देशबंदी के दौरान शुरू किए गए इन वैकल्पिक प्रयासों को सराहना भी खूब मिली। इससे स्पष्ट है कि बेशक संकटकाल के कारण ही सही, लेकिन बहुत से कार्यों को सम्पादित-निष्पादित करने की दिशा में एक नई राह खुल गई है, जो भविष्य में खासी प्रचलित होगी और देश सही मायने में डिजिटल भारत बनने में कामयाब हो सकेगा। वैसे भी देश इससे पहले ही डिजिटल भारत बनने की दिशा में पहले से ही आगे बढ़ रहा है और क्योंकि बैंकिंग और वाणिज्यिक क्षेत्र में बहुत से देशवासी डिजिटल तकनीक का बखूबी लाभ उठा रहे हैं। अब कोविड-19 यानी कोरोना वायरस की बदौलत लागू देशबंदी के दौरान कामकाज में तकनीक का इस्तेमाल त्वरित गति से बढ़ने के कारण यह प्रत्यक्ष प्रतीत हो रहा है कि देश में डिजिटल भारत बनने के अब अपार अवसर हैं।

भारत है दुनिया का सबसे कुशल देश

डिजिटल कामकाज के मामले में भारत दुनिया का सबसे कुशल देश है। एक सर्वे के मुताबिक भारत में लगभग 67 फीसदी डिजिटल वर्कर्स मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी नई विकसित टेक्नोलॉजी को कामकाज के लिए बेहतर मानते हैं। वर्ष 2019 में हुए डिजिटल वर्कप्लेस सर्वे के अनुसार, डिजिटल कार्यक्षेत्र के मामले में भारत दुनिया में सबसे अधिक कुशल देश है। इसके बाद ब्रिटेन और अमेरिका क्रमश: दूसरे और तीसरे स्थान पर हैं। सर्वे में बताया गया है कि ज्यादातर भारतीय डिजिटल क्षेत्र की नई तकनीकों का न केवल उपयोग करना जानते हैं, बल्कि उनकी समझ भी इसे लेकर अन्य के मुकाबले बेहतर है। सर्वे के मुताबिक नई तकनीकों को सीखने में अधिकांश भारतीयों की खासी रुचि होना इसकी खास वजह है। सर्वे के अनुसार भारत में डिजिटल रूप से कामकाज वाले 27 फीसदी कर्मचारी ऐसे हैं जो कि इस क्षेत्र में पूर्णत: कुशल हैं, जबकि अन्य भी अपने कार्य निष्पादन के लिए वांछित तकनीकी ज्ञान रखते हैं।

प्रधानमंत्री ने भी विभिन्न प्लेटफार्म्स पर की है डिजिटल कामकाज की वकालत

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टेकसेवी कहें कि प्रौद्योगिकी प्रेमी जनप्रतिनिधि माना-समझा जाता है। क्योंकि वे अपने कामकाज में सूचना और  संचार तकनीक का भरपूर प्रयोग करते रहे हैं। प्रधानमंत्री ने भी विभिन्न प्लेटफार्म्स पर अपने संबोधनों में डिजिटल कामकाज संबंधी ऐसी पहल का जिक्र किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सूचना और संचार तकनीक के वर्तमान दौर में सबसे पहले कार्यस्थलों का डिजिटलीकरण बढ़ा और अब प्रौद्योगिकी का सबसे आमूल-चूल परिवर्तन सामान्यत: गरीबों के जीवन में भी शुरू हो गया है। यह प्रौद्योगिकी ही है जिसके कारण नौकरशाही की हाइरॉर्की ध्वस्त हो गई है, इसने बिचौलियों का सफाया कर दिया है और कल्याणकारी उपायों में तेजी आई है। उन्होंने एक उदाहरण देते हुए बताया कि जब उन्हें 2014 में सेवा करने का अवसर मिला तो उन्होंने भारतीयों विशेषकर गरीबों को जन धन खाते, आधार और मोबाइल नम्बर से जोड़ना शुरू किया, इस सरल से दिखने वाले कनेक्शन ने न केवल दशकों से जारी भ्रष्टाचार और नीतियों में तोड़-मरोड़ करना समाप्त कर दिया, बल्कि सरकार को महज एक बटन क्लिक करके धन हस्तांतरित करने में भी समर्थ बना दिया, इस बटन की एक क्लिक ने फाइल पर चलने वाली हाइरॉर्की की सतहों और हफ्तों के विलम्ब को मिटा दिया।

कम साधनों में अधिक कार्य करने का आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी टेलीमेडिसिन का उदाहरण देते हुए कहते हैं हम पहले से ही क्लिनिक या अस्पताल गए बिना अनेक परामर्श होते देख रहे हैं, यह भी एक सकारात्मक संकेत है। क्या हम ऐसे बिजनेस मॉडल्स के बारे में विचार कर सकते हैं, जो दुनिया भर में टेलीमेडिसिन को बढ़ावा देने में मदद करें? शायद अब समय आ गया है, जब हम इस बारे में फिर से सोच विचार करें कि कुशल होने से हमारा आशय क्या है। कुशलता केवल कार्यालय में बिताया जाने वाला समय नहीं हो सकती। हमें शायद ऐसे मॉडल्स के बारे में सोचना होगा, जहां उत्पादकता और कुशलता उपस्थिति के प्रयास से ज्यादा मायने रखती है। कार्य को निर्दिष्ट समय-सीमा के भीतर पूरा करने पर बल दिया जाना चाहिए।




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