सहजन से करें त्वचा और शरीर की देखभाल

09-07-2020 12:48:37
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सहजन की वैज्ञानिक व्यावसायिक खेती व ...

सहजन से करें त्वचा और शरीर की देखभाल

सहजन को अस्सी प्रकार के दर्द व बहत्तर प्रकार के वायु विकारों का शमन करने वाला बताया गया है| इसकी सब्जी खाने से पुराने गठिया , जोड़ों के दर्द, वायु संचय , वात रोगों में लाभ होता है. सहजन के ताज़े पत्तों का रस कान में डालने से दर्द ठीक हो जाता है. सहजन की सब्जी खाने से गुर्दे और मूत्राशय की पथरी कटकर निकल जाती है. इसकी जड़ की छाल का काढा सेंधा नमक और हिंग डालकर पिने से पित्ताशय की पथरी में लाभ होता है. इसके पत्तों का रस बच्चों के पेट के किडें निकालता है और उलटी दस्त भी रोकता है. इसका रस सुबह शाम पीने से उच्च रक्तचाप में लाभ होता है. इसकी पत्तियों के रस के सेवन से मोटापा धीरे धीरे कम होने लगता है. इसकी छाल के काढ़े से कुल्ला करने पर दांतों के कीड़ें नष्ट होते है और दर्द में आराम मिलता है. इसके कोमल पत्तों का साग खाने से कब्ज दूर होती है. इसकी जड़ का काढे को सेंधा नमक और हिंग के साथ पिने से मिर्गी के दौरों में लाभ होता है. इसकी पत्तियों को पीसकर लगाने से घाव और सुजन ठीक होते है. सर दर्द में इसके पत्तों को पीसकर गर्म कर सिर में लेप लगाए या इसके बीज घीसकर सूंघे. इसमें दूध की तुलना में ४ गुना कैलशियम और दुगना प्रोटीन पाया जाता है। यह दक्षिण भारत में साल भर फली देने वाले पेड़ होते है. इसे सांबर में डाला जाता है . वहीँ उत्तर भारत में यह साल में एक बार ही फली देता है. सर्दियां जाने के बाद इसके फूलों की भी सब्जी बना कर खाई जाती है. फिर इसकी नर्म फलियों की सब्जी बनाई जाती है. इसके बाद इसके पेड़ों की छटाई कर दी जाती है. आयुर्वेद में ३०० रोगों का सहजन से उपचार बताया गया है। इसकी फली, हरी पत्तियों व सूखी पत्तियों में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम, पोटेशियम, आयरन, मैग्नीशियम, विटामिन-ए, सी और बी कॉम्पलैक्स प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। इसके फूल उदर रोगों व कफ रोगों में, इसकी फली वात व उदरशूल में, पत्ती नेत्ररोग, मोच, शियाटिका,गठिया आदि में उपयोगी है| जड़ दमा, जलोधर, पथरी,प्लीहा रोग आदि के लिए उपयोगी है तथा छाल का उपयोग शियाटिका ,गठिया, यकृत आदि रोगों के लिए श्रेयष्कर है| सहजन के विभिन्न अंगों के रस को मधुर,वातघ्न,रुचिकारक, वेदनाशक,पाचक आदि गुणों के रूप में जाना जाता है| सहजन के छाल में शहद मिलाकर पीने से वात, व कफ रोग शांत हो जाते है| इसकी पत्ती का काढ़ा बनाकर पीने से गठिया,शियाटिका ,पक्षाघात,वायु विकार में शीघ्र लाभ पहुंचता है| शियाटिका के तीव्र वेग में इसकी जड़ का काढ़ा तीव्र गति से चमत्कारी प्रभाव दिखता है, मोच इत्यादि आने पर सहजन की पत्ती की लुगदी बनाकर सरसों तेल डालकर आंच पर पकाएं तथा मोच के स्थान पर लगाने से शीघ्र ही लाभ मिलने लगता है | सहजन के बीज से पानी को काफी हद तक शुद्ध करके पेयजल के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसके बीज को चूर्ण के रूप में पीस कर पानी में मिलाया जाता है। पानी में घुल कर यह एक प्रभावी नेचुरल क्लैरीफिकेशन एजेंट बन जाता है। यह न सिर्फ पानी को बैक्टीरिया रहित बनाता है बल्कि यह पानी की सांद्रता को भी बढ़ाता है जिससे जीवविज्ञान के नजरिए से मानवीय उपभोग के लिए अधिक योग्य बन जाता है। कैन्सर व पेट आदि शरीर के आभ्यान्तर में उत्पन्न गांठ, फोड़ा आदि में सहजन की जड़ का अजवाइन, हींग और सौंठ के साथ काढ़ा बनाकर पीने का प्रचलन है। यह भी पाया गया है कि यह काढ़ा साइटिका (पैरों में दर्द), जोड़ो में दर्द, लकवा, दमा, सूजन, पथरी आदि में लाभकारी है। सहजन के गोंद को जोड़ों के दर्द और शहद को दमा आदि रोगों में लाभदायक माना जाता है। आज भी ग्रामीणों की ऐसी मान्यता है कि सहजन के प्रयोग से विषाणु जनित रोग चेचक के होने का खतरा टल जाता है। सहजन में हाई मात्रा में ओलिक एसिड होता है जो कि एक प्रकार का मोनोसैच्युरेटेड फैट है और यह शरीर के लिये अति आवश्यक है। सहजन में विटामिन सी की मात्रा बहुत होती है। विटामिन सी शीर के कई रोगों से लड़ता है, खासतौर पर सर्दी जुखाम से। अगर सर्दी की वजह से नाक कान बंद हो चुके हैं तो, आप सहजन को पानी में उबाल कर उस पानी का भाप लें। इससे जकड़न कम होगी। इसमें कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है जिससे हड्डियां मजबूत बनती है। इसके अलावा इसमें आइरन, मैग्नीशियम और सीलियम होता है। इसका जूस गर्भवती को देने की सलाह दी जाती है। इससे डिलवरी में होने वाली समस्या से राहत मिलती है और डिलवरी के बाद भी मां को तकलीफ कम होती है।

त्वचा देखभाल: यदि एक बार चेहरे पर झुर्रियां आने लग जाए तो फिर उन्हें बढ़ने से रोकना और बढ़ती उम्र को छुपाना बेहद मुश्किल हो जाता है। इसलिए बेहतर यही है कि आप पहले से ही त्वचा की देखभाल इस तरह करें कि झुर्रियों का आना टल जाए या कह लें कि कुछ और सालों के लिए आगे बढ़ जाए। हम आपको बता रहे हैं कुछ ऐसे असरदार घरेलू नुस्खे जो चेहरे पर झुर्रियां व दाग-धब्बे हल्के कर उन्हें मिटाने में मदद करेंगे सहजन में एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। सहजन में विटामिन ए होता है जो कि पुराने समय से ही सौंदर्य के लिये प्रयोग किया जाता रहा है। तथा इस हरी सब्जी को अक्सर खाने से बुढापा दूर रहता है। इससे आंखों की रौशनी भी अच्छी रहती है। आप सहजन को सूप के रूप में पी सकते हैं, इससे शरीर का रक्त साफ होता है। पिंपल जैसी समस्याएं तभी सही होंगी जब खून अंदर से साफ होगा। सहजन उन  विषाक्त पदार्थों को खत्म करने में  मदद करता है जिससे विषाक्त पदार्थों के कारण त्वचा पर मुंहासे और धब्बे हो सकते हैं। सहजन पाउडर खून को शुद्ध करता है ताकि आपक स्किन साफ और स्वस्थ रहे। सहजन के फेस पैक के इस्तेमाल से चेहरे की झुर्रियों को चुटकियों में गायब कर सकते हैं सहजन से बना फेस पैक, सहजन के पत्तियों में भरपूर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं। इसे पौष्टिक सुपर फूड कहा जाता है और सहजन के पेड़ को चमत्कारी पेड़ कहा जाता है। सहजन को सेंजन, मुनगा, मोरिंगा जैसे नामों से भी जाना जाता है। सहजन के पेड़, पत्ते, फूल, फल और बीज अद्भुत औषधीय गुणों से भरपूर हैं। सहजन के पत्तों में संतरे/ नींबू की तुलना में सात गुना अधिक विटामिन सी होता है। इसके अलावा बहुत सारे एंटीऑक्सीडेंट और विटामिन होते हैं जो त्वचा के लिए फायदेमंद होते हैं। सहजन में ऐसे गुण पाए जाते हैं जो स्किन में  कोलोजन की मात्रा को बढ़ा देता है। जिससे स्किन के खुले छिद्रों को कम करने में मदद मिलती है। सहजन फेस पैक बनाने का तरीका सहजन के फेसपैक बनाने के लिए सहजन की पत्तियों को सुखा लें। इसके बाद इसे पीस लें। अब एक बाउल 2-3 चम्मच सहजन की पत्तियों का पाउडर, 1 चम्मच नींबू का रस, 1 चम्मच शहद डालकर अच्छी तरह से मिक्स कर लें। अगर पेस्ट गाढ़ा है तो इसमें गुलाब जल  या कच्चा दूध डाल सकते हं। अब इस पेस्ट को चेहरे पर लगाएं। करीब 20-30 मिनट तक सुखने के बाद साफ पानी से धो लें। इसके बाद मॉश्चराइजर लगा लें।


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